‘Got a place to go called Nowhere Was easier less bloody to go there All I had to do was to be true shook to core they replied closed doors Thought I wont get a shelter haha they dint know ‘Got a place to go called Nowhere A lot peaceful no claws to tear no…
Year: 2015
तुम तो नहीं थे बेवफ़ा
हजार तीर चुभे हैं दिलमें एक और सही खूँ तो बचा जितना था उतना ही बहेगा ! हर कतरा कहेगा तुम तो नहीं थे बेवफ़ा .. तुम तो नहीं थे बेवफ़ा हर शहर का अंजाम है खंडहर हो जाना मेरा नाम ना सही खंडहर तो बचा रहेगा ! हर पत्थर कहेगा मरूँगा मैं कितनी दफ़ा…
गुजरा दिन
गुजरा भी तो क्या गुजरा यह दिन सतानेवाली रात भी महबूबा लग रही है कोई क्या समझे मेरे दिल पे क्या गुजरी है धुप में जलके राख होती तो बेहतर होता हर एक ख़्वाहिश रूबरू सुलग रही है कुछ दिन ने साथ दिया होता तो बात बनती शाम होने की फ़िराक मैं है रात कल…
बेवकुफ़ियाँ
वह बेवकुफ़ियाँ ही हैं जिन्होंने जीना सिखाया वरना सही करते करते कब के बिगड़ जाते हम धुपमें सुलगते हुवे सीखा ख़्वाबोंको सींचना वरना बारिश याद करते कब के उजड़ जाते हम मेरा होनाही है सबूत मेरे होने का दोस्तों गर दुनिया की सुनते तो खुद से बिछड़ जाते हम
सूरज को ढलना था
सूरज को ढलना था सो ढल गया आज फिर एक मौसम बदल गया पंछियोंका बसेरा भी क्या बसेरा पंछी ऊब गया सो निकल गया ख़्वाब ख़त्म हो जाए तो पूरा हो क्यों किसीका फ़साना अधूरा हो क्या दिन क्या रातका अंधेरा अपना वक़्त हुवा सो निकल गया मैं मुसाफ़िर मेरा क्या ठिकाना जहाँ राह मुड़े…
अब तू ही
अब तू ही छोड़ चली जा यादोंको वरना मुश्किल है तुझे भूल जाना या तो एक बार दिलकी राख कर जा क्यों है तुझे उसे रोज रोज जलाना दवा बता जिससे मेरा दर्द हो कम या तो जहर दे ख़त्म कर फ़साना ख़ुदसेही आँखमिचोली करे राही भुलती नहीं मगर तू याद आना
हिसाब-सवाब
फुरसत मिली है आज राही, कुछ हिसाब कर ही लूँ जोड़ तोड़ ही सही एक बार, सिफर को जवाब कर ही लूँ कुछ पल पूछ रहे हैं बेसब्र, गए वक़्त उनका क्या बना ? सियाही ओ अश्क़ से सने हैं, उनकी किताब कर ही लूँ सितारे कम हो रहे हैं सुबह होने को है? ना…
Sycophancy And Prayer
Sycophancy Might not be the best way To achieve the goal But love Is the magical chemical That converts it Into Prayer !!
कहानी
उठी हैं पलकें, ख़त्म है कहानी अंगड़ाई ले रही है, फुलोंकी रानी कहानी थी एक सहजादेकी उतरा था जो बादलोंसे ढूंढ रहा था, सपनोंकी रानी हर डगर हर पल सालोंसे फिर जाने की, सोच रहा था बैठा था उदास होके हवा चली ऐसी, कोई फूल हँसा नूर ए जन्नत लेके उसे छू गई हवा, तो…
यह दुनिया
यह दुनिया छोटी है गोल है सब झूठ है सब झूठ है ऐसा ना होता तो कभी ना कभी तो वो डगर आती जिसपर तुम आँखे बिछाए खड़ी होती हो! क्योंकी मैं तो बड़ी देर से बस चलता ही जा रहा हूँ चलता ही जा रहा हूँ यह दायरा जो ख़त्मही नहीं होता सब झूठ…