कहानी

उठी हैं पलकें, ख़त्म है कहानी अंगड़ाई ले रही है, फुलोंकी रानी कहानी थी एक सहजादेकी उतरा था जो बादलोंसे ढूंढ रहा था, सपनोंकी रानी हर डगर हर पल सालोंसे फिर जाने की, सोच रहा था बैठा था उदास होके हवा चली ऐसी, कोई फूल हँसा नूर ए जन्नत लेके उसे छू गई हवा, तो…