एक ऐसा शहर..

अगर मैं कोई जादुगर होता हर एक पल को बुलबुला बना देता ख़त्म हो जाते कुछ लम्होंमें फिर कभी न आते यादोंमे याद आती भी तो हर याद को कश्ती बनाके पानीमे बहा देता फिर कभी ना मिलने के लिए कच्ची बुनियादोंपर खड़े घर और उनमे रहते झुठे लोग कई सावन आ गए जाने क्या…