तेरी याद

तेरी याद आई तो दीवारें तंगसी हो गयी खिड़कीमें आया तो ख़ुदसे कुछ कहने लगा तो दूरसे किसीके रोने की आवाज़ आई मैं हैरान… देखने लगा निचे उतरा एक शख़्स सामने आया कुछ दीवाना सा, आँखे नम थी कहने लगा मैंने किसीको रोते हुवे सुना .. मगर यह शहर तो कब का वीराँ हो चुका है…

चाँद से कह दो

चाँद से कह दो अब उसकी जरुरत नहीं मशरूक हैं हम दीदार ए यार के हमें अब झूठे हुस्न को देखने की फुरसत नहीं क्या खबर थी एक जवाबसे बदलेगी दुनिया एक पलमें गर बदल जाती है जिंदगी फिर उस बनानेवाले से अब कोई हसरत नहीं किस तरह से शुक्रिया अदा करें तेरा सनम सबकुछ…

कोई और

डर था दर्या ए दुनिया में डूब जाएंगे डूब गए तो एक मोती मिल गया उसका रंग था ऐसा जाँनशीं के कोई और मुझको अब तो भाती नहीं शमा ए हुस्न तेरी बुझ पाती नहीं नींद आती है मगर नींद आती नहीं सबा मायूस छोर पे शब्बे फ़िराक़के रात आती है मगर फ़िर वो जाती…

एक मोती

लग रहा था डूब जाएंगे दुनिया के दर्याह में तेह तक पहुँचे तो जी उठे एक मोती जो मिल गया इश्क़ किया तो मौजज़ा हुवा एक पलमें किनारा कश्ती को मिल गया

शिक़वा

करें तो किससे शिक़वा करें हर ग़म से पर्दा उठानेका, काम गर हवा करे वह भी तो छुपाते हैं आँसुओंको हम जताभी न सकते, इसकी क्या दवा करें फ़ासलें भी बिछे हैं काँटोंसे याद आए भी तो तुम, कहो हम क्या करें

पिया बिना

पिया बिना मोहे चैन ना आवे पिया तोरी मोहे याद सतावे कैसे छुप गए मुझे छोड़ बारिशमे हम तो मर गए तेरी ही ख़्वाहिशमें पिया मोहे दूर भये और मेघा जलावे लौट के आजा बालम रहा ना जाए बिरहा का बिष मोसे सहा ना जाए कारी कारी रात पिया मोहे नींद ना आवे तुम तो…

तू भी गर नहीं

कोई फ़िरदौस नहीं गर दुनियासे रुखसत नहीं कोई दुनिया भी नहीं गर साजनको फुरसत नहीं कोई मैं भी तो नहीं गर तू नहीं तेरी आदत नहीं कोई तू भी गर नहीं तो रह क्या गया बेजानसी हवा और रेत कहीं !

तेरी याद

रात बीत जाए तेरी याद ना जाए आँख भीग जाए तू ऐसे क्यूँ सताए इसका नाम इश्क़ है मैं जानता हूँ ख़ुदा से ज्यादा तुझको मानता हूँ सजदा करूँ तो तू सामने आए तू ही बता दे ईस दर्द का क्या करूँ एक सुरूर सा इन आँखोंमें क्या करूँ बिन पिएही कोई नशा हो जाए…